सीखा अनुभव से बहुत, खोल रहा वह राज।
आँसू, खुशियाँ सँग दे, पत्नी और पियाज।।
बाल बड़े, कपड़े फटे, समझें नहीं गरीब।
शादी के कुछ बाद ही, दिखते पुरुष अजीब।।
रावण - सा ससुराल से, आ जाए गर द्वार।
मान राम - सा झट करें, हर सम्भव सत्कार।।
ससुराली कौवे तलक, बोले मीठे बोल।
घर की खुशियों के लिए, बने रहें बकलोल।।
खोट दिखे पर चुप रहें, करें नहीं अवसाद।
इक समान आदर सुमन, पत्नी या परसाद।।
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