वो क्यों भटके मानवता से, इसे समझना पड़ता है
जो भटकाते उनकी खातिर, आग उगलना पड़ता है
मानव निर्मित सभी धर्म हैं, नैतिक-मूल्य बचाने को
फिर भी अक्सर धर्म-भेद से, हमें गुजरना पड़ता है
आदर इक दूजे का करना, सिखलाते हैं धर्म सभी
अच्छा कौन धर्म इस पर भी, रोज उलझना पड़ता है
विश्वयुद्ध से अधिक अभी तक. धर्मयुद्ध में लोग मरे
फिर भो धर्मांध हैं उनसे, तुरत निबटना पड़ता है
सभी धर्म इक संविधान-सा, हमें सिखाता है जीना
जो न समझे सुमन उन्हें तो, सदा सुबकना पड़ता है
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