Sunday, April 3, 2022

होली के विविध मुक्तक

                          (१)
सतरंगी होली की दुनिया, खोये लोग उमंग में
कुछ उलझे दुनियादारी में, कोई प्रेम प्रसंग में 
आपस में हो भाईचारा, पर्व सभी सिखलाते हैं
सुमन वक्त से टकरा करके, जीते हैं हर रंग में
                             (२)
कहीं वसंती खुशियों के सँग, राग वसंत कभी
विरहन खातिर कंत बिना है, आग वसंत कभी
जैसे पतझड़ बीता वैसे, मिलन सुमन से होगा
दिल में रंग बिरंगी चाहत, फाग वसंत कभी
                             (३)
फूलों की बारात सजी है, कोयल के संगीत यहाँ
विरहन को उम्मीद कि शायद, मिल जायेंगे मीत यहाँ
जब वसंत आता तो दिल में, सबके आस जगाता है
सुमन हारकर यही सोचता, संभव हो फिर जीत यहाँ
                               (४)
सभी के जिन्दगी में इक मुहब्बत की कहानी है
कोई बनता कभी राजा कोई राजा की रानी है
मगर होते सुमन घायल मुहब्बत में सभी कैसे
निशाना भी लगाते फिर दिखाते ये निशानी है

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!