Saturday, April 2, 2022

खुद से खुद की रोज लड़ाई होती है

हर  दिन  अपनी  यार  सगाई  होती  है
खुद  से  खुद  की  रोज लड़ाई होती है

वक्त  हमेशा  है  सबसे  अच्छा शिक्षक 
पढ़ो   ठीक   से  पाठ, भलाई  होती  है

याद कहाँ रख पाती दुनिया धन दौलत
जो  करते  हम, असल  कमाई होती है

क्यूँ  जिद सबको मनवा लें अपनी बातें
छुप - छुप  करके, रोज  ढिठाई होती है

इनके,  उनके  शब्द  चुराकर  ले  आए
कैसी   कैसी   आज  लिखाई  होती  है

बाजारों  की भाषा जो भी समझ लिया
उनके   हाथों   यार   मिठाई   होती  है

देख आईना में खुद को कुछ कहने पर
सुमन  माथ  की  रोज  धुनाई  होती है

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!