चाहे जितनी कोशिश कर लो,
क्या इतिहास बदल सकता?
सूरज पश्चिम नहीं उगेगा,
क्या विश्वास बदल सकता??
नाम बदलने से क्या होता?
जनहित का कुछ काम करो।
या फिर सत्ता छोड़ के प्यारे
घर जाओ, आराम करो।।
भरत मिला रावण से, कहते,
कभी भीख में आजादी।
बाँट रहे हो झूठ, घृणा को,
यह समाज की बरबादी।।
याद काम को करती दुनिया,
सब इतना सच जाने हैं।
बुरे कर्म का बुरा मिले फल,
सभी धरम ये माने हैं।।
जो इतिहास सही से पढ़ता,
वो इतिहास बनाता है।
सच का राही सुमन हमेशा,
यादों में बस जाता है।
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