"राग-दरबारी" मैं नहीं जानता,
और न ही कभी इसे गाता हूँ।
इसीलिए हर शासक-दल को मैं,
कहीं भी, कभी भी नहीं भाता हूँ।
मेरे प्यारे भाइयों, बहनों और मित्रों,
मैं हमेशा फूलों के पक्ष में हूँ।
इसका मतलब ये कत्तई नहीं कि
मैं डालियों, पत्तों के विपक्ष में हूँ।
सामाजिक पक्षधरता की बात,
एक जीवंत कलमकार की मजबूरी है।
इसीलिए सत्ताधारी दलों से सदा,
ऐसे लोगों की बनी रहती दूरी है।
सभी काल के युधिष्ठिरों के सामने,
मैं अपना जिन्दा सवाल रखूँगा,
क्योंकि मैं युगों युगों का यक्ष हूँ।
बेहतर सामाजिक परिवेश के लिए,
युगों युगों तक सुमन,
हर सत्ता के सामने स्थायी विपक्ष हूँ।
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