Saturday, October 29, 2022

कविताओं को मरते देखा

बड़ी - बड़ी महफिल में जाना, अपनी  कविता वहाँ सुनाना।
लिखा आपने जो शिद्दत से, सोच मिला क्या सही ठिकाना?
नामचीन  कवियों  को  अक्सर, आयोजक  से  डरते  देखा।
बड़े - बड़े  मंचों  पर  अच्छी,  कविताओं  को  मरते  देखा।।

मुझे  बुलाओगे  फिर  मैं  तुझको, अपने  शहर  बुलाऊँगा।
तुम   भी   मेरी   पीठ   खुजाना,   मैं   तेरी   खुजलाऊँगा।
व्यापारिक  रस्ते  से  कवि  को, प्राय: रोज  गुजरते  देखा।
बड़े-बड़े मंचों पर -----

मंचों  पर  हस्ती  से  ज्यादा,  मान   तुझे   समुचित  दूँगा।
हल्का  करके  खुद का  लिफाफा, दान तुझे निश्चित दूँगा।
अपने  स्तर  से  कुछ  कवि  को, नीचे रोज उतरते देखा।
बड़े-बड़े मंचों पर -----

है समाज को अगर बचाना, फिर साहित्य  बचाओ तुम।
रचा  बसा  तेरी  प्रतिभा  में, वो  आदित्य  बचाओ तुम।
शब्द साधना करे सुमन जो, उनको यहाँ निखरते देखा।
बड़े-बड़े मंचों पर -----

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