Saturday, December 17, 2022

नहीं छूटती सुमन कबीरी

इक फकीर की गजब फकीरी।
देख   लजाती   जिसे  अमीरी।।
इक फकीर की -----

मंहगा  उड़न - खटोला  चढ़ते,  सबको  ऊँचाई  से  पढ़ते।
क्षण-क्षण मेंपरिधानबदल वो, किस्मत भी मनमानी गढ़ते।
बस नफरत पे टिकी वजीरी।
इक फकीर की -----

जहाँ  आँख  में  आँसू  लाते, तुरत  विरोधी  को खा जाते।
रंग  बदलने  में  माहिर  यूँ,  जिसे  देख  गिरगिट  शरमाते।
घोषित भगवन्, रूप शरीरी।
इक फकीर की -----

शब्द-चित्र में रूप दिखाया, छाँव कहाँ और धूप दिखाया।
अगली पीढ़ी खातिर सोचो, कहाँ सड़क पे कूप दिखाया।
नहीं छूटती सुमन कबीरी।
इक फकीर की -----

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