Monday, January 2, 2023

भजो राम का नाम

भूख लगी तो चुप रहो, क्यों करते बदनाम?
चाहत यही निजाम की, भजो राम का नाम।।

मँहगाई सिखला रही, सह लेने की सीख।
कुछ सरकारी भीख से, दबा रहे हैं चीख।।

भटक रहे युव-जन अभी, बिना काम बेकार।
इधर बनाता मीडिया, नफरत का बाजार।।

सभी धरम के मूल में, मानवता का मर्म।
लेकिन भूखों के लिए, रोटी पहला धर्म।।

आपस में भूखे लड़ें, धरम नाम पर भाय।
खेल सियासी है यही, नित रिश्ते चटकाय।।

खेले जाएंगे अभी, कई सियासी चाल।
कितने दिन तक हम बनें, मूरख या वाचाल??

नफरत की आँधी मगर, सुमन हाथ में दीप।
अंधकार जो है घना, करना उसे प्रदीप।।

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