जिसको अमृत-काल बताया, उस पर एक सवाल हुआ
क्यों कुबेर को केवल अमृत, जनता खातिर काल हुआ
कुछ लोगों का आज इण्डिया, मगर करोड़ों भारत में
चमक दमक केवल इण्डिया में, पर भारत पामाल हुआ
संविधान की मूल भावना, खुद ही शासक जब कुचले
तब ऐसी हालत में लगता, लोकतंत्र जंजाल हुआ
लोकतंत्र के मंदिर में भी, देख जरा हालात अभी
हम सबने जिनको चुन भेजा, वैचारिक कंगाल हुआ
जब भूखे हों बहुजन घर में, और मलाई शासक को
जगती है तब लोक - चेतना, तब ही सुमन कमाल हुआ
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