Wednesday, March 15, 2023

एक अकेला सब पे भारी

हुई घोषणा ये सरकारी
एक अकेला सब पे भारी

जो सवाल शासन से पूछे
झट कहते, करता गद्दारी

लोकतंत्र के सभी तंत्र की
छीनी सत्ता ने मुख्तारी

धन - कुबेर, सत्ताधीशों की
अपनी अपनी हिस्सेदारी

कुचल रहे जो संविधान को
उसकी कैसी जय जयकारी

आम लोग ही चुनते शासक
मत भूलो, ऐ! सत्ताधारी

लोक जागरण करते रहना
सुमन कलम की जिम्मेवारी

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