Tuesday, February 7, 2023

झूठ बोलना जारी रखिए

सब कुछ मंहगा सस्ती जान,
मुश्किल  है   बचना   ईमान।
फिर  भूखे, बेबस क्यों बोलें
अपना   भारत  देश   महान?
लेकिन  जनता  को  भरमाने,
सब  खबरें  सरकारी  रखिए।
झूठ   बोलना   जारी  रखिए।।

          कथनी,  करनी  में  जो  भेद,
          तनिक नहीं शासक को खेद।
          अब लोगों को लगा है दिखने,
          जगह - जगह शासन का छेद।
          संवैधानिक   सभी   तंत्र   पर,
          छुप छुपके से मुख्तारी रखिए।
          झूठ बोलना -----

शिक्षा और चिकित्सा घायल,
बस  कुबेर घर बजती पायल।
फिर  भी  जो  वैचारिक अंधे,
अक्सर  वो राजा के  कायल।
जो  शासक  की  भाषा बोले,
वैसे   ही   अधिकारी  रखिए।
झूठ बोलना -----

          जो  सच  बोले  उनको  डांटे, 
          सुविधा - भोगी  को भी छांटे।
          फिर प्रचार करके जनता को,
          मजहब  और नफरत से बांटे।
          अपना   ही  गुणगान  कराने,
          सदा  कवि - दरबारी  रखिए।
          झूठ बोलना -----

पता  नहीं  कैसा  विकास है,
आम लोग सचमुच उदास है।
पर  शासन  के  विज्ञापन  में,
सभी समस्या अब खलास है।
सबकी  पीड़ा  सुनने  खातिर,
जरा  सुमन  दिलदारी रखिए।
झूठ बोलना -----

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