भले गेरुवा, हरा, लाल में
लोकतंत्र है मकड़ - जाल में
शासक की मनमानी से ही
शीर्ष लोग तक हैं सवाल में
जनता खातिर प्रश्न पूछकर
जेल गए कुछ अभी हाल में
अमृतकाल मगर क्यों खबरें
हैं सत्ता के मोह-जाल में
है विकास की आँधी फिर भी
बढ़ी विवशता सभी साल में
देख भेड़िये अभी सियासी
घूम रहे जो शेर - खाल में
मगर जगाने लोक - चेतना
सुमन मिलेगा सभी काल में
No comments:
Post a Comment