बिजली शिक्षा सड़क चिकित्सा, रोटी पानी पर क्यों चुप्प
सौंप दिया सब जिन हाथों में, अब नादानी पर क्यों चुप्प
आम - जनों की हालत पतली, जलते प्रश्न हजारों हैं
मुद्दे से भटकाने वाली, चाल पुरानी पर क्यों चुप्प
जितने देश पड़ोसी अपने, मित्र - देश उनमें कितने
नफरत के नश्तर बाँटे पर, जख्म-निशानी पर क्यों चुप्प
लोकतंत्र में "लोक" विवश हैं, "तंत्र" उन्हीं की मुट्ठी में
लगुए-भगुए, मंत्री तक के, गलत-बयानी पर क्यों चुप्प
तनी हुई संगीन कलम पर, सजग - नागरिक कोने में
है कठोर अंकुश खबरों पर, सब सुल्तानी पर क्यों चुप्प
शासक को बेमतलब लगती, लोक - भलाई की बातें
फिर विकास सबके सँग कैसे, ऐसे ज्ञानी पर क्यों चुप्प
कुचलोगे तुम सुमन को जितना, उतनी खुशबू फैलेगी
टिकना मुश्किल हवा बहेगी, अब तूफानी पर क्यों चुप्प
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