हे बजरंगबली!
चाहे रावण हो या आज का "सियासी-खली",
या फिर कोई बाहुबली,
आखिरकार सब दिन यहा़ं, किसकी चली?
हे बजरंगबली!
रामराज तो देखा है आपने हे रामभक्त!
आप राम के साथ सदा खड़े रहे होकर सशक्त,
आया था रामराज कभी न्याय-प्रेम का बीज बो कर,
वादा आज भी करते हैं शासक रामराज का,
लेकिन नफरत बांटकर और न्याय खो कर
शायद इसीलिए अभी भारत में,
मची है कैसी सियासी-खलबली?
हे बजरंगबली!
आप पहली बार चुनाव में पुकारे गये,
या यूं कहें जबरन उतारे गये,
आपने ठीक से उनका घमण्ड तोड़ा,
जिन्होंने राम की मर्यादा छोड़ी,
उन्हें भी आपने बेखटके छोड़ा,
आखिर मानवता को बचाना आपकी मजबूरी है,
इसलिए नफरती को चोट देना और भी जरूरी है,
हे रामदूत! स्वयं देखो, सेवा-भाव को छोड़कर,
अब हो गई है सियासत कितनी मनचली?
हे बजरंगबली!
सुना है आप भूल जाते हो खुद की ताकत,
क्या यही सोचकर, शासक करते ऐसी हिमाकत?
मानव, मानव में थर्म के नाम पर भेद कराना,
प्रचार-तंत्र का उपयोग करके,
एक दूसरे को आपस मे लड़वाना,
हे ज्ञान गुण सागर! समय समय पर
ऐसे दुर्योधनों को अपनी ताकत दिखाओ,
और विचार से भटके लोगों को,
सही रास्ते पर आप ले आओ,
सुमन टूटेगी तभी हर भ्रष्टचार की नली,
हे बजरंगबली!
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