साधो! तुम कितने मायावी?
कह फकीर तुम खुद को खुद, चलते दाँव चुनावी।।
साधो! तुम कितने -----
ले आते बजरंग-बली को, अब चुनाव में आगे।
पहले सब था राम भरोसे, उन्हें छोड़ क्यों भागे?
कुछ तो जनसेवा भी कर लो, हार जीत दुनियावी।।
साधो! तुम कितने -----
भूखों की तादाद बढ़ी क्यों, नित बढ़ती मंहगाई।
वादे सारे लोक - लुभावन, साबित हवा-हवाई।
तुझमें विश्व - गुरु बनने की, क्यों इतनी बेताबी??
साधो! तुम कितने -----
न्याय-पूर्ण हर उस राजा की, हम सब महिमा गाते।
नहीं विरोधी सुमन किसी का, बस दर्पण दिखलाते।
राजा सबको हक दे समुचित, सच्चा ज्ञान किताबी।।
साधो! तुम कितने -----
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