पक्ष विपक्षी हैं भिड़े, लफड़ा नित्य नवीन।
घालमेल यूँ खबर में, किस पर करें यकीन।।
जहाँ खबर सच्ची मिले, वहाँ जगे इन्सान।
खबरें प्रयोजित अगर, जनहित का नुक़सान।।
गैर जरूरी खबर को, कहते ब्रेकिंग - न्यूज।
इस कारण जन - चेतना, हो जाती कन्फ्यूज।।
सामाजिक हालात पर, खबरों का दस्तूर।
खबर वही जो आजकल, सत्ता को मंजूर।।
खबरों की भी लें खबर, तभी बनेगा काम।
या फिर कह दें बाद में, माया मिली न राम।।
करें खबर की नौकरी, विवश खबरची आज।
दिशाहीन हर खबर से, बिगड़े रोज समाज।।
खबरों पर नजरें सुमन, रखें सदा ही खास।
आमजनों का खबर पे, तब बढ़ता विश्वास।।

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