मना रही दुनिया जिसे, सचमुच नेक प्रयोग।
घर - घर भारत में बसा, है सदियों से योग।।
दैनिक - कारज में रहा, योग सदा पैवस्त।
चाहे दिन रौशन रहे, या सूरज हो अस्त।।
योग धरोहर देश की. सीखो नूतन - योग।
शासक हैं योगी अभी, योगी का उद्योग।।
योग अभी तूफान - सा, सबको रहा लपेट।
वो कैसे आसन करें, जिनके भूखे पेट।।
गली - गली की खबर में, आज योग का शोर।
आसन करने से अधिक, दिखलाने पर जोर।।
करनी देखा तो लगा, शासक-गण चालाक।
बना रहे जो योग को, सचमुच एक मजाक।।
एक दिवस कर लो सुमन, क्या उन्नत हो योग?
इसको कहें प्रयोग या, केवल यह संयोग।।
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