इससे किसको इन्कार, इन्डिया जीतेगा।।
कब जयचन्दों की मर्जी, कुछ मीरजाफरी अर्जी।
ये राष्ट्रवाद के चोले, अब लगते बिल्कुल फर्जी।
सब ने खायी दुत्कार, इन्डिया जीतेगा।
हर मजहब में-----
दल नहीं सियासी अपना, सत्ता ही जिनका सपना।
आपस में मिल्लत करके, तू संविधान को जपना।
बस जिन्दा रहे विचार, इन्डिया जीतेगा।
हर मजहब में -----
है सचमुच ये हितकारी, हो कलम की पहरेदारी।
अब जान लिया लोगों ने, है नकली चौकीदारी।
सच करो सुमन स्वीकार, इन्डिया जीतेगा।
हर मजहब में -----
No comments:
Post a Comment