Tuesday, August 8, 2023

पहरे में हैं कलम-कैमरे

राजा  खुद कहते  जग वाले, मेरी चाल से डरते हैं 
देख वही अब आमजनों के, हर सवाल से डरते हैं

सत्ता खातिर बन के ज्ञाता, उल्टा - सीधा बोल रहे 
सब वादे  हैं  यूँ कमाल के, उस कमाल से डरते हैं 

एक अकेला सब पे भारी, बोल चुके जो संसद में
उनको जनता देख  रही अब, प्रश्नकाल से डरते हैं

पहरे  में हैं कलम - कैमरे, सख्ती सिर्फ विरोधी पर 
मकड़े  जैसा जाल बुने पर, मकड़जाल  से डरते हैं 

बालू  का जो सुमन घरौंदा, सदा झूठ का बनता है 
जिसे बनाया ढाल अभी तक, उसी ढाल से डरते हैं

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