Wednesday, January 17, 2024

यजमान अधूरे हैं

ज्यों श्रीमती के बिन श्रीमान अधूरे हैं 
बिन जोड़ी के सारे भगवान अधूरे हैं 

है देह अगर मंदिर मूरत है प्राण वहाँ
मंदिर भी अधूरा है यजमान अधूरे हैं 

चाहे पद ऊँचा हो पर नारी मान बिना
जीवन भी अधूरा है अरमान अधूरे हैं 

केवल भाषण में जो दे इज्जत नारी को 
वो दिखे भी आदम सा इन्सान अधूरे हैं

क्यों माप रहे छाती तू बनो सुमन इंसां
हासिल ताकत से जो सम्मान अधूरे हैं

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