बिन जोड़ी के सारे भगवान अधूरे हैं
है देह अगर मंदिर मूरत है प्राण वहाँ
मंदिर भी अधूरा है यजमान अधूरे हैं
चाहे पद ऊँचा हो पर नारी मान बिना
जीवन भी अधूरा है अरमान अधूरे हैं
केवल भाषण में जो दे इज्जत नारी को
वो दिखे भी आदम सा इन्सान अधूरे हैं
क्यों माप रहे छाती तू बनो सुमन इंसां
हासिल ताकत से जो सम्मान अधूरे हैं
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