Monday, June 23, 2025

झूठ, झूठ पर लेप रहा है

सब अचरज  से देख रहा है 
फेंकू   केवल  फेंक  रहा  है 

मोहक झूठ गढ़ा जीवनभर 
कभी  नहीं  वो  नेक रहा है 

समाचार   गोदी - चैनल  के
झूठों   से   लबरेज   रहा  है 

किया  मित्र  ने  यूँ  नंगा कि
बार - बार  वो  झेंप  रहा  है 

सच से नाता कभी न इनका
झूठ, झूठ  पर  लेप  रहा  है 

बाँटे  आग  सदा नफरत की 
रोटी   अपनी   सेंक  रहा  है 

पूछे  प्रश्न  सुमन इक तुझसे
क्यूँ  सच  से  परहेज रहा है 

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