योग जरूरी रोज है, इक दिन करे प्रचार।
इक योगी शासन करे, एक करे व्यापार।।
योगी - जन मिलते कहाँ, कपड़े पर विश्वास।
कुछ योगी कुछ संत को, जगह जेल में खास।।
चक्की, सिलबट, ढेकियाँ, करता कौन प्रयोग?
लेकिन सब करते अभी, उसी नाम से योग।।
कुछ पशुओं के आचरण, हैं आसन के अंग।
पर मानव नित कर रहे, अब पशुओ को तंग।।
स्वस्थ - सुखी हो जिन्दगी, योग जरूरी मीत।
पर दैनिक जो आचरण, योग - भाव विपरीत।।
कितने रोपे पेड़ को, पर काटे नित लोग।
शुद्ध हवा, जल के बिना, क्या कर सकता योग??
सदियों से हर योग का, भारत में है मूल।
सुमन कहाँ परिवेश है, योग - क्रिया अनुकूल??
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