साधो! सब राजा इक संगी।
कभी इमर्जेन्सी जो काली, अभी हुई नारंगी।।
साधो! सब राजा -----
लोक-लुभावन शब्द गढ़े नित, राजा एक दशक से।
सबके सब झूठे साबित पर, राजा चले ठसक से।
ऐसा अंकुश लोकतंत्र पे, हुई सियासत नंगी।।
साधो! सब राजा -----
सबको आगे बढ़ने का हक, संविधान देता है।
जाति-भेद बिनु शिक्षित सबको, सदा मान देता है।
पता नहीं वो दिन कब आए, वेद सुनाए भंगी।।
साधो! सब राजा -----
धर्म एक दुनिया में जिसको, मानवता कहते हैं।
जो इसके विपरीत चलें तो, दानवता कहते हैं।
देख सुमन फोटो में राजा, बन के निकला जंगी।।
साधो! सब राजा -----
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