Tuesday, July 1, 2025

नारंगी इमर्जेन्सी

साधो! सब राजा इक संगी। 
कभी इमर्जेन्सी जो काली, अभी हुई नारंगी।।
साधो! सब राजा -----

लोक-लुभावन शब्द गढ़े नित, राजा एक दशक से। 
सबके सब  झूठे  साबित  पर, राजा चले ठसक से।
ऐसा   अंकुश   लोकतंत्र  पे,  हुई   सियासत  नंगी।।
साधो! सब राजा -----

सबको  आगे  बढ़ने  का  हक,  संविधान  देता  है। 
जाति-भेद बिनु शिक्षित सबको, सदा मान देता है।
पता  नहीं  वो  दिन  कब  आए, वेद  सुनाए भंगी।।
साधो! सब राजा -----

धर्म  एक  दुनिया  में जिसको, मानवता कहते हैं।
जो  इसके  विपरीत  चलें  तो, दानवता  कहते हैं।
देख  सुमन  फोटो  में राजा, बन के निकला जंगी।।
साधो! सब राजा -----

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