बिगड़ रहा है विश्व-समाज,
कुछ शासक हैं जुमलेबाज,
कौन देश है किसका साथी, खबरों में यह शोर है।
दुनिया कुछ सनकी के कारण, विश्वयुद्ध की ओर है।।
सभी देश में शासक आते, धनबल, नफरत के दम पर।
पर मानवता बढ़ती आगे, सदा मुहब्बत के दम पर।
जहाँ युद्ध जारी है देखो, विपदा भी घनघोर है।।
दुनिया कुछ सनकी के कारण -----
घटनाओं पर गौर करें तो, कुछ शासक अनपढ़ लगते।
राजनीति के दृष्टिकोण से, कुछ बिल्कुल अनगढ़ लगते।
सभी देश में तानाशाही, लाने पर भी जोर है।।
दुनिया कुछ सनकी के कारण -----
जहाँ - जहाँ सामंती शासक, वहाँ - वहाँ आतंक बढ़े।
तब विरोध में सुमन इसी के, बलिदानी निःशंक बढ़े।
लोक - चेतना आमजनों में, जगे तो नूतन - भोर है।
दुनिया कुछ सनकी के कारण -----
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