Saturday, December 1, 2018

बेबस दिखते राम अभी

राजनीति के रखवालों ने किया है ऐसा काम अभी।
निर्बल के बल राम सुना पर बेबस दिखते राम अभी।।

राम बसे हैं घर घर यारों, यह सदियों का नाता है।
रामायण की गाथा में वो, सबका भाग्य विधाता है।
उनके घर के कारण घायल हुआ अयोध्या धाम अभी।
निर्बल के बल राम सुना ----------

जी कर राम सिखाते हमको, क्या होता भाईचारा।
लेकिन नाम, राम का लेकर, भाई को भाई मारा।
हर चुनाव में जीत की खातिर, राम बना आयाम अभी।
निर्बल के बल राम सुना ----------

अपनाते हैं राम उसी को, जो भी उपेक्षित हैं सारे।
सुमन उपेक्षित आज किनारे, वो भी विपदा के मारे।
बचा राम तू मर्यादा को, करो नहीं विश्राम अभी।
निर्बल के बल राम सुना ----------

1 comment:

radha tiwari( radhegopal) said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-12-2018) को "द्वार पर किसानों की गुहार" (चर्चा अंक-3174) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी

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