नहीं गाँव की खबर की बात
खबरों में बस शहर की बात
उन खबरों को कौन पढ़े है?
जो करते हैं असर की बात
हिन्दू, मुस्लिम धर्म नाम पर
सिर्फ चुनावी लहर की बात
मौलिक प्रश्न उठे तो करते
अक्सर इधर उधर की बात
पीने के पानी के बदले
वो करते हैं नहर की बात
भाषा की मर्यादा ऐसी
भूल गए सब कदर की बात
देख सुमन बेबस लोगों को
समझो उसकी नजर की बात
खबरों में बस शहर की बात
उन खबरों को कौन पढ़े है?
जो करते हैं असर की बात
हिन्दू, मुस्लिम धर्म नाम पर
सिर्फ चुनावी लहर की बात
मौलिक प्रश्न उठे तो करते
अक्सर इधर उधर की बात
पीने के पानी के बदले
वो करते हैं नहर की बात
भाषा की मर्यादा ऐसी
भूल गए सब कदर की बात
देख सुमन बेबस लोगों को
समझो उसकी नजर की बात
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