देशभक्त अब संभल रहा है
राष्ट्रवाद जब मचल रहा है
राष्ट्र किसे कहते ना समझे
राष्ट्रवाद पर उछल रहा है
समाचार सरकारी बनकर
अपनी नीयत बदल रहा है
जिसे रोकना था चोरी को
वो चोरी में सफल रहा है
तार तार हैं सारे रिश्ते
जो भी अपने बगल रहा है
इस शासन में हुआ अभी जो
उस शासन का नकल रहा है
रोज जलाए चमन सुमन को
पकड़ उसे जो असल रहा है
राष्ट्रवाद जब मचल रहा है
राष्ट्र किसे कहते ना समझे
राष्ट्रवाद पर उछल रहा है
समाचार सरकारी बनकर
अपनी नीयत बदल रहा है
जिसे रोकना था चोरी को
वो चोरी में सफल रहा है
तार तार हैं सारे रिश्ते
जो भी अपने बगल रहा है
इस शासन में हुआ अभी जो
उस शासन का नकल रहा है
रोज जलाए चमन सुमन को
पकड़ उसे जो असल रहा है
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