मिटा रहे सद्भाव मुसाफ़िर
आपस में टकराव मुसाफ़िर
तब ऐसी हालत बनती जब
आता एक चुनाव मुसाफ़िर
कौन यहाँ कमजोर मुसाफ़िर
बढ़ा खूब है शोर मुसाफ़िर
खुलेआम कहते मंचों से
इक दूजे को चोर मुसाफ़िर
भूखे मरते लोग मुसाफ़िर
चले कहीं पर योग मुसाफ़िर
जो खबरों में छपी लड़ाई
वह सत्ता का रोग मुसाफ़िर
सब चलते हैं दाव मुसाफ़िर
वोटों के भी भाव मुसाफ़िर
हरदम छली गयी है जनता
कहाँ भरे हैं घाव मुसाफ़िर
लोग नहीं नादान मुसाफ़िर
रखते सबका ध्यान मुसाफ़िर
जूते की माला पहनाकर
संमव है सम्मान मुसाफ़िर
होता जहाँ अभाव मुसाफ़िर
मुमकिन वहीं दुराव मुसाफ़िर
सुन अपनी आवाज़ हमेशा
उचित कौन है ठाँव मुसाफ़िर
होली के हैं रंग मुसाफ़िर
कहीं चुनावी जंग मुसाफ़िर
सत्ता खातिर इनका लड़ना
देख सुमन है दंग मुसाफ़िर
आपस में टकराव मुसाफ़िर
तब ऐसी हालत बनती जब
आता एक चुनाव मुसाफ़िर
कौन यहाँ कमजोर मुसाफ़िर
बढ़ा खूब है शोर मुसाफ़िर
खुलेआम कहते मंचों से
इक दूजे को चोर मुसाफ़िर
भूखे मरते लोग मुसाफ़िर
चले कहीं पर योग मुसाफ़िर
जो खबरों में छपी लड़ाई
वह सत्ता का रोग मुसाफ़िर
सब चलते हैं दाव मुसाफ़िर
वोटों के भी भाव मुसाफ़िर
हरदम छली गयी है जनता
कहाँ भरे हैं घाव मुसाफ़िर
लोग नहीं नादान मुसाफ़िर
रखते सबका ध्यान मुसाफ़िर
जूते की माला पहनाकर
संमव है सम्मान मुसाफ़िर
होता जहाँ अभाव मुसाफ़िर
मुमकिन वहीं दुराव मुसाफ़िर
सुन अपनी आवाज़ हमेशा
उचित कौन है ठाँव मुसाफ़िर
होली के हैं रंग मुसाफ़िर
कहीं चुनावी जंग मुसाफ़िर
सत्ता खातिर इनका लड़ना
देख सुमन है दंग मुसाफ़िर
1 comment:
वाह
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