खुद से खुद को गढ़ना है
फिर आगे भी बढ़ना है
लेकिन ये मुमकिन है तब
पहले खुद को पढ़ना है
नित अपना विस्तार करो
गलती को स्वीकार करो
लेकिन ये मुमकिन है तब
पहले खुद से प्यार करो
कभी नहीं नादान बनो
लोगों की मुस्कान बनो
लेकिन ये मुमकिन है तब
पहले खुद इन्सान बनो
नहीं किसी से खटपट कर
कभी नहीं तू छटपट कर
लेकिन ये मुमकिन है तब
सभी काम तू झटपट कर
बहुत जरूरत धन से जुड़
पर लोगों के मन से जुड़
लेकिन ये मुमकिन है तब
खुशबू और सुमन से जुड़
फिर आगे भी बढ़ना है
लेकिन ये मुमकिन है तब
पहले खुद को पढ़ना है
नित अपना विस्तार करो
गलती को स्वीकार करो
लेकिन ये मुमकिन है तब
पहले खुद से प्यार करो
कभी नहीं नादान बनो
लोगों की मुस्कान बनो
लेकिन ये मुमकिन है तब
पहले खुद इन्सान बनो
नहीं किसी से खटपट कर
कभी नहीं तू छटपट कर
लेकिन ये मुमकिन है तब
सभी काम तू झटपट कर
बहुत जरूरत धन से जुड़
पर लोगों के मन से जुड़
लेकिन ये मुमकिन है तब
खुशबू और सुमन से जुड़
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