छपने की भूख न छपाने की भूख है
भटके को आईना दिखाने की भूख है
कौन यहाँ सुनता है, आज सभी बोले
अपनी खुशी, गम का राज भी न खोले
पहले से देश में प्रदूषित हवा है
ऊपर से बोल के जहर और घोले
बेबस को इनकी दबाने की भूख है
भटके को आईना -----
वादे वो करके जगाते हैं आशा
सबके दिलों में क्यों छायी निराशा
पक्ष या विपक्ष पहले शिष्ट थे विरोध में
फिर क्यों चलन आज गाली की भाषा
शोर करके आँकड़े छुपाने की भूख है
भटके को आईना -----
सच में न झूठ का पुलिन्दा रहेगा
सच्चे से झूठा शर्मिन्दा रहेगा
लाखों शहीदों ने देश जो बनाया
लोकतंत्र हर हाल जिन्दा रहेगा
खुशबू सुमन की फैलाने की भूख है
भटके को आईना -----
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