चलो हम घूम के आएँ किसी झरना, पठारी से
बड़ी मुश्किल से पाया है अभी फुर्सत दिहाड़ी से
तपिश मौसम में होती जब तेरी जुल्फों के साये में
कतल होने की चाहत है तेरी नैनन कटारी से
खुदा का शुक्र है दिल से मिलाया तुझसे मुझको यूँ
भला फिर प्यार क्यूँ करता कोई मुझसा अनाड़ी से
जहाँ पर लड़खड़ाता हूँ सहारा तुमसे मिलता है
उतरना फिर नहीं मुझको मुहब्बत की सवारी से
मुहब्बत जिन्दगी से है सुमन की जिन्दगी तुम हो
मुहब्बत नाम देने का नहीं मुमकिन उधारी से
बड़ी मुश्किल से पाया है अभी फुर्सत दिहाड़ी से
तपिश मौसम में होती जब तेरी जुल्फों के साये में
कतल होने की चाहत है तेरी नैनन कटारी से
खुदा का शुक्र है दिल से मिलाया तुझसे मुझको यूँ
भला फिर प्यार क्यूँ करता कोई मुझसा अनाड़ी से
जहाँ पर लड़खड़ाता हूँ सहारा तुमसे मिलता है
उतरना फिर नहीं मुझको मुहब्बत की सवारी से
मुहब्बत जिन्दगी से है सुमन की जिन्दगी तुम हो
मुहब्बत नाम देने का नहीं मुमकिन उधारी से
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