Sunday, June 9, 2019

कतल होने की चाहत है

चलो  हम  घूम  के  आएँ, किसी  झरना, पठारी से
बड़ी  मुश्किल  से पाया है, अभी फुर्सत दिहाड़ी से

तपिश मौसम में जब होगी, तेरी जुल्फों के साये में
कतल  होने  की  चाहत  है, तेरी  नैनन -,कटारी से

खुदा का शुक्र है दिल से, मिलाया मुझको यूँ तुझसे
भला फिर प्यार करता क्यूँ, कोई मुझसा अनाड़ी से

जहाँ  पर  लड़खड़ाता  हूँ, सहारा  तुमसे मिलता है
हमें  फिर  क्यों  उतरना  है, मुहब्बत  की सवारी से

मुहब्बत  जिन्दगी है तो, सुमन की जिन्दगी तुम हो
लुटाओ  प्यार  की  दौलत, चलाओ  मत उधारी से 

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