गढ़ते नयी कहानी साहिब
करते फिर मनमानी साहिब
स्रोत आप हो सभी ज्ञान के
हम जनता अज्ञानी साहिब
भूख, बेबसी के आँसू को
मत समझो है पानी साहिब
काम दर्ज सब इतिहासों में
दुनिया आनी - जानी साहिब
चढ़ता सूरज ही ढलता है
छोड़ो अब नादानी साहिब
इतराओ मत अहंकार में
बनते क्यूँ अभिमानी साहिब
तू ताकतवर सभी सुमन को
दे दो प्रेम - निशानी साहिब
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