अपने कर्मों से सभी, बने ऊँच या नीच।
मदद उसे कर जो बढ़े, नहीं पाँव तू खींच।।
मिली सफलता खुश रहो, मत करना अभिमान।
कर्मों से मुमकिन सदा, मिले एक पहचान।
सीखो खुलकर बोलना, अगर हृदय में खोट।
मन जिसका मैला हुआ, उसको लगती चोट।।
तू कैसा यह तय करे, आस पास के लोग।
मत पालो अभिमान को, यह संक्रामक रोग।।
कौन बड़ा, छोटा यहाँ, सब हैं एक समान।
यदा कदा छोटे सुमन, दे जाते हैं ज्ञान।।
मदद उसे कर जो बढ़े, नहीं पाँव तू खींच।।
मिली सफलता खुश रहो, मत करना अभिमान।
कर्मों से मुमकिन सदा, मिले एक पहचान।
सीखो खुलकर बोलना, अगर हृदय में खोट।
मन जिसका मैला हुआ, उसको लगती चोट।।
तू कैसा यह तय करे, आस पास के लोग।
मत पालो अभिमान को, यह संक्रामक रोग।।
कौन बड़ा, छोटा यहाँ, सब हैं एक समान।
यदा कदा छोटे सुमन, दे जाते हैं ज्ञान।।
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