हर भाषण व्यवहार में, दिखता इक आवेश।
कौन बदलता क्रोध से, बदल प्यार से देश।।
बाँट सको तो बाँट ले, आस पास का क्लेश।
मुमकिन तब भारत बने, फिर इक प्यारा देश।।
शासक जब देने लगे, उलट - पुलट आदेश।
मिलके सब रोको उसे, तब सुन्दर हो देश।।
हृदय - भाव शैतान - सा, मगर संत सा वेश।
जनता जब समझे इसे, फिर उन्नत हो देश।।
लोग सजग बदले सदा, हर विकृत परिवेश।
व्यर्थ भरम तुझको सुमन, है मुट्ठी में देश।।
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