हाँ! मैं सवाल हूँ।
सवाल के रूप में मैं
कल भी था, आज भी हूँ
और आगे भी रहूँगा।
यह व्यवस्था जबतक अधूरी है,
सवाल का होना बहुत जरूरी है।
सभ्यता है, संस्कृति है,
अपनी रीति और नीति है।
मान है, अपमान है,
धर्म है, विज्ञान है।
फिर कैसे किसी की रातें अंधेरी तो
किसी की सिंदूरी है?
इसलिए सवाल का होना बहुत जरूरी है।
हाँ! मैं सवाल हूँ पर
निजी नहीं हैं मेरे सवाल।
मुझे तोड़ना है आमलोगों के
मन से भय का भ्रम-जाल।
तुम प्रताड़ित करो या दोे सजा
पर सवाल फिर भी खड़ा होगा कि
क्यों आमजनों पर आफत ही आफत
और तेरे हाथों में अंगूरी है?
इसलिए सवाल का होना बहुत जरूरी है।
सवाल का होना बहुत जरूरी है।।
सवाल के रूप में मैं
कल भी था, आज भी हूँ
और आगे भी रहूँगा।
यह व्यवस्था जबतक अधूरी है,
सवाल का होना बहुत जरूरी है।
सभ्यता है, संस्कृति है,
अपनी रीति और नीति है।
मान है, अपमान है,
धर्म है, विज्ञान है।
फिर कैसे किसी की रातें अंधेरी तो
किसी की सिंदूरी है?
इसलिए सवाल का होना बहुत जरूरी है।
हाँ! मैं सवाल हूँ पर
निजी नहीं हैं मेरे सवाल।
मुझे तोड़ना है आमलोगों के
मन से भय का भ्रम-जाल।
तुम प्रताड़ित करो या दोे सजा
पर सवाल फिर भी खड़ा होगा कि
क्यों आमजनों पर आफत ही आफत
और तेरे हाथों में अंगूरी है?
इसलिए सवाल का होना बहुत जरूरी है।
सवाल का होना बहुत जरूरी है।।
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