Wednesday, November 6, 2019

दीप जलाओ दीप से

तमसो मा ज्योतिर्गमय, जाग्रत जहां विवेक।
जिस ड्योढ़ी पे तम सुमन, दीप जला दो एक।।

जो अबतक की जिन्दगी, जाना एक हिसाब।
बाहर दीपक तम हरे, अन्दर हरे किताब।।

अपनी अपनी जिन्दगी, अपने हैं आकाश।
अपने सहित पड़ोस में, करते रहें प्रकाश।।

जलते दीपक ने कहा, हमसे बात सटीक।
तम निज का तू नित मिटा, हम तो एक प्रतीक।।

दीप जलाओ दीप से, नियमित रहे प्रयास।
लौटेगा हर एक में, जीवन का विश्वास।।

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!