तमसो मा ज्योतिर्गमय, जाग्रत जहां विवेक।
जिस ड्योढ़ी पे तम सुमन, दीप जला दो एक।।
जो अबतक की जिन्दगी, जाना एक हिसाब।
बाहर दीपक तम हरे, अन्दर हरे किताब।।
अपनी अपनी जिन्दगी, अपने हैं आकाश।
अपने सहित पड़ोस में, करते रहें प्रकाश।।
जलते दीपक ने कहा, हमसे बात सटीक।
तम निज का तू नित मिटा, हम तो एक प्रतीक।।
दीप जलाओ दीप से, नियमित रहे प्रयास।
लौटेगा हर एक में, जीवन का विश्वास।।
जिस ड्योढ़ी पे तम सुमन, दीप जला दो एक।।
जो अबतक की जिन्दगी, जाना एक हिसाब।
बाहर दीपक तम हरे, अन्दर हरे किताब।।
अपनी अपनी जिन्दगी, अपने हैं आकाश।
अपने सहित पड़ोस में, करते रहें प्रकाश।।
जलते दीपक ने कहा, हमसे बात सटीक।
तम निज का तू नित मिटा, हम तो एक प्रतीक।।
दीप जलाओ दीप से, नियमित रहे प्रयास।
लौटेगा हर एक में, जीवन का विश्वास।।

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