जो भी सीखा है दुनिया में आकर, वही कहने लगे धीरे धीरे
जिन्दगी जीने की कोशिशों में, हम तो मरने लगे धीरे धीरे
एक चंदा जो मामा था अपना और देखा था परियों का सपना
उम्र बढ़ती गयी तब हकीकत को समझने लगे धीरे धीरे
जोश में सबकी आती जवानी और गढ़ती है अपनी कहानी
ठोकरों से तो हम लड़खड़ाते फिर सम्भलने लगे धीरे धीरे
झुर्रियों को भी खुश हो के देखा, ये तो होती है अनुभव की रेखा
तब जो देखा किसी को बहकते, हम दहकने लगे धीरे धीरे
जिन्दगी का अजब फलसफा है, साथ देता कोई बेवफा है
खोज में थे सुमन मिले खुशियां पर सिसकने लगे धीरे धीरे
जिन्दगी जीने की कोशिशों में, हम तो मरने लगे धीरे धीरे
एक चंदा जो मामा था अपना और देखा था परियों का सपना
उम्र बढ़ती गयी तब हकीकत को समझने लगे धीरे धीरे
जोश में सबकी आती जवानी और गढ़ती है अपनी कहानी
ठोकरों से तो हम लड़खड़ाते फिर सम्भलने लगे धीरे धीरे
झुर्रियों को भी खुश हो के देखा, ये तो होती है अनुभव की रेखा
तब जो देखा किसी को बहकते, हम दहकने लगे धीरे धीरे
जिन्दगी का अजब फलसफा है, साथ देता कोई बेवफा है
खोज में थे सुमन मिले खुशियां पर सिसकने लगे धीरे धीरे
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