माना जिसको प्यारा अपना
छीना वही सहारा अपना
साथ चला जो अच्छे दिन में
झट से किया किनारा अपना
रिश्ते - नाते भी कुदाल-सा
हक माँगे वो सारा अपना
काल बुरा जो लुटती नारी
लूटे उसे दुबारा अपना
सृजन हमारा पर चोरी से
वो कहते हैं नारा अपना
उसने छोड़ा साथ कभी था
जो आँखों का तारा अपना
दर्द सुमन काहे को ढोना
जीता दूजा, हारा अपना
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