राजा खातिर लाज की बात
कहते यही रिवाज की बात
देशद्रोह का तमगा उनको
जो करते हैं काज की बात
मोहक बातें सोच भयानक
मुश्किल कहना राज की बात
खुसुर-फुसुर लोगों की भाषा
दबी हुई आवाज की बात
नुचे पंख से क्या उड़ान हो
ये है सकल समाज की बात
कबतक चीख दबाओगे तुम
परिवर्तन आगाज की बात
जागो सुमन जगाओ सबको
ये जीवन बस आज की बात
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