आवाज दबाने की कोशिश।
जनतंत्र मिटाने की कोशिश।
स्तब्ध हुआ मन आहत है।
ऐसी क्यों हुई सियासत हैॽ
ये जख्म बहुत ही गहरा है।
सख्ती से सच पे पहरा है।
घुट -घुटके फिर है जीना क्योंॽ
नित जहर गमों का पीना क्योंॽ
मत सोच कि हम डर जाएंगे।
हक लेंगे या मर जाएंगे।
सब दिन गद्दी पर कौन यहाँॽ
हम भला रहें क्यों मौन यहाँ।
तू जाग सुमन कर देर नहीं।
सह सकते और अंधेर नहीं।
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