सूरज, चाँद, सितारे बदले
गम के नहीं किनारे बदले
सच सवाल बन खड़ा हमेशा
दुश्मन बदले, प्यारे बदले
भौतिकता की मोह में कैसे
लोग - बाग भी सारे बदले
जब विचार के साथ बढ़ोगे
तब गर्दिश के तारे बदले
जो दरबारी राग सुनाए
उनके वारे - न्यारे बदले
सत्ता की सच्चाई लिखना
जिनके वादे - नारे बदले
कलम थामना सुमन फकीरी
बिल्कुल नहीं सहारे बदले
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