Tuesday, June 8, 2021

ये कविताई चारण की

किसीकी पंक्ति उड़ा के लिखने, वाले कितने लोग मिले
अक्सर  देखा  छुआछूत - सा, आस पास  ये रोग मिले

डिग्री  से   विद्वान  लगे  हैं,  मिली  उपाधि  बड़ी - बड़ी
शुद्ध  शब्द  लिखने  में  दिक्कत, ऐसे  भी  संयोग मिले

कविता  है संकेत  की  भाषा, कहकर  आगे बढ़ जाती
नाम - जाप कविता में हो या, शब्द-भाव का योग मिले

यशोगान  शासक  का  करना, ये  कविताई  चारण की 
मगर  आज कल  कलमकार  में, दरबारी  दुर्योग  मिले

कलम  को  गिरवी  रखे  सुमन जो, वैचारिक अंधे होते
तब संभव उनको शासक से, सुविधाओं का भोग मिले

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