Thursday, July 22, 2021

होश में रहके जीना असल जिन्दगी

नित  सिखाती  है हमको अकल जिन्दगी 
फिर समझते क्यों अपनी अटल जिन्दगी

रोज   आता   है   सूरज,  जगाता   हमें
होश  में   रहके  जीना  असल  ज़िन्दगी

पेड़    गिरते   अगर,   वहीं   उगते   नये
ऐसे  चलती  ही  रहती  अचल  जिन्दगी

लोग  गुरबत  में  लाखों  जो  जीते यहाँ 
कर सको कुछ मदद तो सफल जिन्दगी

जी   रहे   जो   यहाँ,  चेतना  के  बिना 
करे खुद से वो खुद की कतल जिन्दगी

लोग   बुनते   हैं   सपने   सुनहरे  मगर 
कोशिशों  के  बिना  है विफल जिन्दगी

सच  बयानी  है सचमुच सुमन के लिए
गीत  है  जिन्दगी  और  गजल जिन्दगी

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