Thursday, July 22, 2021

गरजना भी जरूरी है, बरसना भी जरूरी है

जरूरत पर समय के सँग, बदलना भी जरूरी है
गमों से लड़ के फुर्सत में, चहकना भी जरूरी है
हवा, पानी, या  बादल से, हमें भी सीखना होगा
गरजना  भी  जरूरी  है, बरसना  भी  जरूरी है

     अमन  को तोड़ने वाले, अमन की बात करते हैं
     दमन करते हमेशा फिर, नमन की बात करते हैं
     खरीदी  और  बेची  जा  रहीं, खबरें  धड़ल्ले से
     चमन  को  बेचने वाले, चमन  की बात करते हैं

सभी  तैयार  लड़ने  को, भला  तकरार  कैसी है
अगर  है  साथ  जीना  तो, फिर  ये मार कैसी है
नहीं  शतरंज के मोहर बनो, पर  सोच कर देखो 
जहाँ जनता सिसकती हो, वहाँ सरकार कैसी है

     सभी  के  साथ  में जी कर, वही जज्बात लिखना है
     लिखो दिन को हमेशा दिन, कभी न रात लिखना है
     कलम  की  आबरू  कैसे,  बचेगी  ये  सुमन  सोचो
     अदब थाती है धरती की, अदब की बात लिखना है

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