Thursday, July 22, 2021

हर दिन सूरज यहाँ निकलता है

कभी  गिरता, कभी  सम्भलता  है
सबका इक दिन समय बदलता है

रात  पूनम  की  या  अमावस की
हर  दिन  सूरज यहाँ निकलता है

नहीं  मिलता  जिसे जो दुनिया में
फिर वो पाने को दिल मचलता है

जीत मिलती जहाँ भी अपनों को
खुशी  मिलती  है मन उछलता है

दूर  जाते  जो   पास  मन के  मेरे
जल्द मिलने की इक विकलता है

साथ  जितने  खड़े  हैं दुख में भी
दर असल  वो  तेरी  सफलता  है

साथ  रखना  सुमन  तू काँटे  भी
लोग  सीधे  को  ही  मसलता  है

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