हम सब जीते काम भरोसे
तुम हो केवल राम भरोसे
जो भी पाया वो केवल है
बड़ों बड़ों के नाम भरोसे
चारों तरफ सियासत तेरी
चलतीं चारों-धाम भरोसे
मिहनतकश ही देश चलाते
मत समझो आराम भरोसे
दिनभर बातें धर्म-कर्म की
और शाम में जाम भरोसे
वही शीर्ष पर टिक सकता है
जीता जिसने आम भरोसे
बेबुनियाद सुमन वो नारे
चलवाते जो वाम भरोसे
No comments:
Post a Comment