जीवन के सारे सवाल का, समाधान भी धरती पर
दूर भले पर देखो झुकता, आसमान भी धरती पर
ऋषि -मु नि, सच्चे संतों की, है सदियों से भीड़ जहाँ
लेकिन तब भी भरे पड़े हैं, बेईमान भी धरती पर
अमन-चैन हम लाते अक्सर, बिगड़े जब हालात कहीं
कभी अमन कायम करने को, उलगुलान भी धरती पर
मेहनतकश की पूछ कहाँ है, घुटती रहतीं प्रतिभाएं
फिर भी कुछ बेबस बढ़ते वो, भाग्यवान भी धरती पर
लोक-चेतना जगेगी निश्चित, पहले खुद ही जागो तुम
सुमन करे जो लोक-जागरण, वो महान भी धरती पर
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