Wednesday, August 18, 2021

लोग जपे वो नाम

सच्चे कर्मों के लिए, अगर मिले सम्मान।
सम्मानों का मान तब, वरना है अपमान।।

अपने अपने कर्म का, सबको है अहसास।
मिहनत से जो भी मिले, उसमें बहुत मिठास।।

बारिश अब सम्मान की, मची हुई है लूट।
सजग नजर से देखिए, कहीं न जाए छूट।।

प्रायोजित सम्मान का, क्या कुछ भी है मोल?
बाहर में मुस्कान पर, खुशी हृदय से गोल।।

जो समाज-हित में सदा, करते रहते काम।
बिन पाए सम्मान भी, लोग जपे वो नाम।।

भूखे क्यों सम्मान के, बिना कर्म के लोग?
फैल रही यह भूख ज्यों, हो संक्रामक रोग।।

सुमन पसीना को समय, देता हरदम मान।
तभी स्वत: कहते सभी, मिला उचित सम्मान।।

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