Wednesday, August 18, 2021

हृदय शेष पछतावा

हंसा ! करियो नहीं दिखावा।
एक न एक दिन तो आएगा, यम का यहाँ बुलावा।।
हंसा! करियो -----

अपने  खातिर  लूट - पाट के, धन  अरजे  बहुतेरे।
वो  अपने  अब  हुए  पराये, समझ  करम के फेरे।
अन्त - काल  में बेबस काया, हृदय शेष पछतावा।
हंसा ! करियो -----

रीति यही दुनिया में सबको, अपना सुख है प्यारा।
वो  सुख दूना, अगर बने हो, दुख में कहीं सहारा।
यही  धरम है व्यर्थ भटकते, तुम काशी या काबा।
हंसा! करियो -----

हर  पेशे  के  पाखंडी  जो, सजा  रखे  निज मेले।
बिना  डरे  वो  सहज लोग के, जीवन से ही खेले।
भोगा  सत्य  सुमन  कहता  है, देता नहीं भुलावा।
हंसा! करियो -----

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