हंसा ! करियो नहीं दिखावा।
एक न एक दिन तो आएगा, यम का यहाँ बुलावा।।
हंसा! करियो -----
अपने खातिर लूट पाट के, धन अरजे बहुतेरे।
वो अपने अब हुए पराये, समझ करम के फेरे।
अन्त काल में बेबस काया, हृदय शेष पछतावा।
हंसा ! करियो -----
रीति यही दुनिया में सबको, अपना सुख है प्यारा।
वो सुख दूना, अगर बने हो, दुख में कहीं सहारा।
यही धरम है व्यर्थ भटकते, तुम काशी या काबा।
हंसा! करियो -----
हर पेशे में, पाखंडी जो, सजा रखे निज मेले।
बिना डरे वो सहज लोग के, जीवन से ही खेले।
भोगा सत्य सुमन कहता है, देता नहीं भुलावा।
हंसा! करियो -----
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